सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि जब तक धारा 377 मौजूद है तब तक समलैंगिक
संबंध गैर कानूनी है। सरकार चाहे तो इस धारा को ख़त्म कर सकती है या
संशोधित कर सकती है लेकिन यहां सुप्रीम कोर्ट अपनी पुरानी परंपरा से हटकर
प्रगतिशील और आधुनिक समाज बनाने के लिये सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट की तरह
इस धारा को अवैध या गैर संवैधानिक नहीं बताता है।
इस धारा में कहा गया है कि जो भी स्वैच्छा से किसी पुरूष, महिला या पशु से अप्राकृतिक जिस्मानी रिश्ता बनायेगा उसको दस साल, या उम्रकैद और जुर्माने की सज़ा दी जायेगी। यह धारा 1861 के पुलिस एक्ट के तहत बनी थी.
इस धारा में कहा गया है कि जो भी स्वैच्छा से किसी पुरूष, महिला या पशु से अप्राकृतिक जिस्मानी रिश्ता बनायेगा उसको दस साल, या उम्रकैद और जुर्माने की सज़ा दी जायेगी। यह धारा 1861 के पुलिस एक्ट के तहत बनी थी.
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